Thursday, 25 July 2013

The mind is the biggest mystery.

Photo: महात्मा किसे कहते है ? -५-

एक समय केशिनी-नामक कन्या को देखकर प्रह्लाद-पुत्र विरोचन और अंगिरा-पुत्र सुधन्वा उनके साथ विवाह करने के लिए परस्पर विवाद करने लगे | कन्या ने कहा की ‘तुम दोनों में जो श्रेष्ठ होगा, मैं उसी के साथ विवाह करुँगी |’ इस पर वे दोनों ही अपने को श्रेष्ठ बतलाने लगे | अंत में वे परस्पर प्राणों की बाजी लगा कर इस विषय में न्याय करने के लिए प्रह्लाद जी के पास गए |

प्रह्लाद जी ने पुत्र के अपेक्षा धर्म को श्रेष्ठ समझकर यथोचित न्याय करते हुए अपने पुत्र विरोचन से कहा की ‘सुधन्वा तुझसे श्रेष्ठ है, इसके पिता अंगिरा मुझसे श्रेष्ठ है और इस सुधन्वा की माता तेरी माता से श्रेष्ठ है, इसलिए यह सुधन्वा तेरे प्राणों का स्वामी है |’ यह न्याय सुनकर सुधन्वा मुग्ध हो गया और उसने कहा ‘हे प्रह्लाद ! पुत्र-प्रेम को त्याग कर तुम धर्म पर अटल रहे, इसलिए
तुम्हारा यह पुत्र सौ वर्षो तक जीवित रहे |’ (महा० सभा० ६८|७६-७७)    

महात्मा पुरुषों का मन और इन्द्रियाँ जीती हुई होने के कारण न्याय विरुद्ध विषयों में तो उनकी कभी प्रवृति नहीं होती | वस्तुत: ऐसे महातमाओ की दृष्टी में एक सच्चिदानंदघन वासुदेव से भिन्न कुछ नहीं होने के कारण यह सब भी लीलामात्र ही है, तथापि लोकद्रष्टि में भी उनके मन, वाणी, शरीर से होने वाले आचरण परम पवित्र और लोकहितकर ही होते है | कामना, आसक्ति और अभिमान से रहित होने के कारण उनके मन और इद्रियों द्वारा किया हुआ कोई भी कर्म अपवित्र या लोक हानि कारक नहीं हो सकता | इसी से वे संसार में प्रमाणस्वरुप माने जाते है | 

Om Namah Shivay.

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The mind is the biggest mystery. Your own mind can be your best friend or your worst enemy. The mind is responsible for our happiness as well as misery. When the mind is in the present moment, everything appears to be beautiful. However, when the mind is a mess; even in the best of places, it can find a thousand reasons to be miserable.

There are five modulations of the mind:

First, the mind wants proof for everything. How can you get proof for everything? Impossible!

Second, the mind does not understand things the way they actually are, but thinks something else. You thought something; a little later found out it was not actually like that; a little later, concepts break down. This is called Viparyaya.

Third, the mind has its own imagination; when nothing of the sort actually exists.

Fourth, the mind falls asleep. If it is not thinking of anything, then it falls asleep.

Fifth, the mind is stuck in the memory of the past, or worried about the future.

These five modulations prevent one from being alive in the present moment and enjoying it.

Yoga brings the shift; it helps you to sail over the modulations of the mind. How is this possible?

First, is to know that you are going to leave everything here and go. You are not going to take anything with you when you leave this world. The cause of misery is holding onto things; mine, mine, mine!

Om Namah Shivay.

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