Sunday, 19 January 2014

There are many who pour out their frustrations. They get angry and their blood pressure shoots up!

Photo: संसार में जितने भी हिन्दू, मुसलमान, ईसाई, पारसी,यहूदी, सिख आदि मत और सिद्धांत माने जाते हैं, उन सबसे आदरपूर्वक निरपेक्ष होकर पक्षपातरहित हो समभाव से विवेकपूर्वक गम्भीरता से अपनी बुद्धि के द्वारा निर्णय करते हुए विचार करना चाहिये कि परम कल्याणदायक भाव और आचरण कौन-से हैं और उनके विपरीत पतनकारक भाव और आचरण कौन-से हैं | एवं इसके लिए जो-जो बातें अपने मनमें आयें, उनपर सोच-विचार करके निर्णय की हुई बातों की हमें दो श्रेणियाँ बना लेनी चाहियें—(१) कल्याणकारक अच्छी बातें और (२) पतनकारक बुरी बातें | जो कल्याण-कारक बातें हों, उनको दाहिनी ओर रखें और जो पतनकारक बातें हों, उनकों बायीं ओर रखें | इस प्रकार अलग-अलग दो पंक्तियाँ बन जायँगी, जिनमें से दाहिनी ओर की पंक्ति ग्रहण करने के लिए एवं बायीं ओर की पंक्ति त्याग करने के लिए होगी | उदाहरण के लिए—

१-एक ओर सदव्यवहार है और दूसरी ओर दुर्व्यवहार है | अब यह निर्णय करना है कि इन दोनों में कौन उत्तम और कल्याणकारक है तथा कौन निकृष्ट और पतनकारक है |

एक मनुष्य आपके साथ अपना स्वार्थ और अभिमान छोड़कर बहुत उत्तम श्रेणी का व्यवहार करता है तो इससे आपको कितनी प्रसन्नता और शांति मिलती है | आपके हृदय पर यह असर पड़ता है कि इसने मेरे साथ बहुत अच्छा व्यवहार किया | अतः इससे आपको यह शिक्षा लेनी चाहिए कि आप भी दूसरों के साथ ऐसा ही उत्तम व्यवहार करें | इसके विपरीत, कोई व्यक्ति आपके प्रति अत्याचार करता है, दुर्व्यवहार करता है, आपका अपमान करता है तो उससे आपके चित्त में क्रोध, भय, अशांति और क्षोभ हो जाते हैं | आपके चित्त में उसके व्यवहार का यह असर पड़ता है कि इसने मेरे साथ बहुत अनुचित और बुरा बर्ताव किया | अतः उससे आपको यह शिक्षा लेनी चाहिए कि आप ऐसा दुर्व्यवहार किसी के साथ न करें |इससे यह निर्णय हो जाता है कि सदव्यवहार ही उत्तम और कल्याणकारक है तथा दुर्व्यवहार निकृष्ट और पतनकारक है | अतः सदव्यवहार को दाहिनी पक्तिं में और दुर्व्यवहार को बायीं पंक्ति में रखें |

Om Namah Shivay

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Traders encroach walkways, authorities demand bribes to provide a birth certificate, police force misuses its authority, politicians are steeped in deep corruption without bothering about the welfare of the people …..everywhere, the world is full of anti-social elements. When I think of them, my blood boils and my brain heats up like it is filled with hot acids. My limbs tremble and I get tense! Can no one reform them?

There are many who pour out their frustrations like this. They get angry and their blood pressure shoots up! There are others who get depressed and go into their shells. Their frustration is legitimate.

‘If I see anti-social elements, my anger shoots up and mind gets disturbed.’ We have to pause and reflect for a moment as to how the increase in our blood pressure would help in reforming these anti-social elements.

Om Namah Shivay

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