Saturday, 26 July 2014

“Life is this simple: we are living in a world that is absolutely transparent and the divine is shining through it all the time. This is not just a nice story or a fable, it is true.”

Photo: क्या होता है मंत्र-ध्वनि की विशिष्ट तरंगों का विशिष्ट प्रभाव ?

विधिवत गुरु परंपरा से प्राप्त कर सिद्घ किये गये मंत्रों के प्रभाव से सामान्य रूप से लाइलाज समझे जाने वाले रोगों व विकट समस्याओं को भी सही किया जाना संभव है। हमारी शारीरिक संरचना में अनेक ऐसे स्थान हैं जो सही कार्य नहीं कर पाते और कुछ के कार्य बाह्य रोग से ग्रसित होने से रुक जाते हैं। इन रोगों पर मंत्रों का खास असर होता है। मस्तिष्क की सुप्त शक्तियों को मंत्रों के तरंगों द्वारा उस स्थिति तक लाया जा सकता है जहां उनकी कार्य क्षमता बढ़ जाती है। मंत्रों के खास प्रकार के उच्चारण से हमारे शरीर के कुछ खास अंग विशेष क्रियाशील हो जाते हैं और उनके प्रभाववश कुछ विशेष प्रकार की व्याधियां ठीक हो जाती हैं। मंत्रों के विशिष्ट दिव्य तरंगों से बाह्य परिवेश पर भी गहरा असर पड़ता है और अनेक विघ्र-बाधाएं समाप्त हो जाती हैं। बीज मंत्रों में प्रयुक्त शब्द सामान्य रूप से निरर्थक लगते हैं किं तु उनके सही उच्चारण से ऐसी ध्वनि तरंगें निकलती हैं जिनके साथ कुछ दिव्य चैतन्य तरंगें भी मिली रहती हैं और उनके प्रभाव से हमारा स्थूल शरीर ही नहीं, सूक्ष्म शरीर भी एक विशिष्ट स्पंदन से प्रकंपित होने लगते हैं। वे प्रकंपन स्थूल नहीं, दिव्य व चैतन्य होते हैं जिनके फलस्वरूप अनेकानेक व्याधियां व बाधाएं दूर हो जाती हैं।

अब तो देश-विदेश में अनेक ऐसे अनुसंधान केंद्र भी खुल गये हैं जहां ध्वनि व पराध्वनि तरंगों पर शोध कार्य चल रहा है। वैसे कुछ अनुसंधान केंद्रों में दिव्य चेतन तरंगों पर भी शोध कार्य विधिवत जारी हो गया है। प्रसन्नता की बात है कि आधुनिक विचारधरा के लोग, जो किसी भी चीज को वैज्ञानिक नजरिये से देखते हैं और यथार्थ की कसौटी पर किसी भी चीज को परखते हैं, वे भी मंत्रों में छिपी दिव्य ऊर्जा के अस्तित्व को मान चुके हैं और उनके अंदर छिपे गहरे रहस्यों से लाभ उठाने का प्रयत्न कर रहे हैं।

मंत्रों का एक सीधा प्रभाव उसके उच्चारण से स्वयं उच्चारण कर्ता पर पड़ता है और दूसरा उस पर जिसे निमित्त बनाकर, जिसके नाम से संकल्प लिया जाता है। मंत्रोच्चारण से निकली पराश्रव्य तरंगों को हम सुन तो नहीं पाते पर वह हमारे परिवेश को प्रभावित करते हुए हमारे शरीर के रोम-रोम उसे सोखते हैं और उसके प्रभाव को अंदर तक पहुंचा देते हैं। फलस्वरूप हमारे शारीरिक व मानसिक रोग नष्ट हो जाते हैं। मानसिक रोगों पर ध्वनि के प्रभाव को देखते हुए आजकल संगीत की दुनिया में गहरे शोध हो रहे हैं और उनसे पता चलता है कि खास-खास किस्म के लोगों को खास किस्म के संगीत लाभ पहुंचाते हैं।

Om Namah Shivay

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“Life is this simple: we are living in a world that is absolutely transparent and the divine is shining through it all the time. This is not just a nice story or a fable, it is true.”

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