Monday, 2 December 2013

Guruji, What is the importance of Mundan Sanskar (referring to the Indian tradition of Shaving a babies’ head after a year of birth)? Please tell us something about it.

Photo: त्राटक ध्यान : 

अचेतन का सामना करने के लिए एक बहुत ही सरल प्रयोग करने का सुझाव दिया है। यह प्रयोग एक घंटे का है। पहला चरण चालीस मिनट का और दूसरा चरण बीस मिनट का है।

पहला चरण :

अपने कमरे के दरवाजे बंद कर लें, और एक बड़ा दर्पण अपने सामने रख लें। कमरे में अंधेरा होना चाहिए। और फिर दर्पण के बगल में एक छोटी सी लौ--दीपक, मोमबत्ती या लैंप की--इस प्रकार रखें कि वह सीधे दर्पण में प्रतिबिंबित न हो। सिर्फ आपका चेहरा ही दर्पण में प्रतिबिंबित हो, न कि दीपक की लौ। फिर लगातार दर्पण में अपनी स्वयं की आंखों में देखें। पलक न झपकाएं। यह चालीस मिनट का प्रयोग है, और दो या तीन दिन में ही आप अपनी आंखों को बिना पलक झपकाए देखने में समर्थ हो जाएंगे। यदि आंसू आएं तो उन्हें आने दें, लेकिन दृढ़ रहें कि पलक न झपके और लगातार अपनी आंखों में देखते रहें। दृष्टि का कोण न बदलें। आंखों में देखते रहें, अपनी ही आंखों में। और दो या तीन दिन में ही आप एक बहुत ही विचित्र घटना से अवगत होंगे। आपका चेहरा नये रूप लेने लगेगा। आप घबरा भी सकते हैं। दर्पण में आपका चेहरा बदलने लगेगा। कभी-कभी बिलकुल ही भिन्न चेहरा वहां होगा, जिसे आपने कभी नहीं जाना है कि वह आपका है।

पर असल में ये सभी चेहरे आपके हैं। अब अचेतन मन का विस्फोट होना प्रारंभ हो रहा है। ये चेहरे, ये मुखौटे आपके हैं। कभी-कभी कोई ऐसा चेहरा भी आ सकता है जो कि पिछले जन्म से संबंधित हो। एक सप्ताह लगातार चालीस मिनट तक देखते रहने के बाद आपका चेहरा एक प्रवाह, एक फिल्म की भांति हो जाएगा। बहुत से चेहरे जल्दी-जल्दी आते-जाते रहेंगे। तीन सप्ताह के बाद, आपको स्मरण भी नहीं रह पाएगा कि आपका चेहरा कौन सा है। आप अपना ही चेहरा स्मरण नहीं रख पाएंगे, क्योंकि आपने इतने चेहरों को आते-जाते देखा है।

यदि आपने इसे जारी रखा, तो तीन सप्ताह के बाद, किसी भी दिन, सबसे विचित्र घटना घटेगी: अचानक दर्पण में कोई भी चेहरा नहीं है। दर्पण खाली है, आप शून्य में झांक रहे हैं। वहां कोई भी चेहरा नहीं है। यही क्षण है: अपनी आंखें बंद कर लें, और अचेतन का सामना करें। जब दर्पण में कोई चेहरा न हो, बस आंखें बंद कर लें--यही सबसे महत्वपूर्ण क्षण है--आंखें बंद कर लें, भीतर देखें, और आप अचेतन का साक्षात करेंगे। सारे धोखे तिरोहित हो जाएंगे।
यही सच्चाई है, पर समाज ने बहुत सी पर्तें निर्मित कर दी हैं ताकि आप उससे अवगत न हो पाएं। एक बार आप अपने को, अपनी संपूर्णता में जान लेते हैं, तो आप दूसरे ही व्यक्ति होने शुरू हो जाते हैं। तब आप अपने को धोखा नहीं दे सकते। तब आप जानते हैं कि आप क्या हैं। और जब तक आप यह नहीं जानते कि आप क्या हैं, आप कभी रूपांतरित नहीं हो सकते, क्योंकि कोई भी रूपांतरण केवल इसी वास्तविकता में ही संभव है; यह वास्तविकता किसी भी रूपांतरण के लिए बीज-रूप है। कोई प्रवंचना रूपांतरित नहीं हो सकती। आपका मूल चेहरा अब आपके सामने है और आप इसे रूपांतरित कर सकते हैं।
और असल में, ऐसे क्षण में रूपांतरण की इच्छा मात्र से रूपांतरण घटित हो जाएगा।

दूसरा चरण :
अब आंखें बंद कर लें और विश्राम में चले जाएं।

Om Namah Shivay 

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Q: Guruji, What is the importance of Mundan Sanskar (referring to the Indian tradition of Shaving a babies’ head after a year of birth)? Please tell us something about it.

Guruji : Our ancestors have told that we have to shave off the first hair of a child. Then the new hair will come. It is the same as how the first teeth fall on their own and only then do new teeth come. But the hair has to be removed first time; it does not fall off automatically like the teeth. They will grow again in time. Mundan Sanskar(Shaving hair) is one of the traditional ceremonies, which reminds us that we have come in this world and you have responsibilities to fulfill. Till the end your life, you have a duty of service and obedience towards your parents. This is the purpose of Mundan Sanskar. There are 16 Samskaras (here referring to the Shodasha-samskaras or sixteen fundamental duties or rites of passage in a person’s life denoting the entry into a phase of life, as per the Vedic tradition) in a person’s life as prescribed by the Vedic scriptures. Similarly Namankaran Samskar (the Naming ceremony for a new born child) is also one such Samskar.

Om Namah Shivay

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