Saturday, 18 February 2017

Shiva is very fond of Bel Patra or the Bilva leaves.

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बेलपत्र अथवा बिल्व पत्र बेल नामक वृक्ष के पत्तों को कहा जाता है जो भगवान शिव को पूजा में अत्यंत प्रिय है। इसके वृक्ष के नीचे पूजा पाठ करना पुण्यदायक माना जाता है। शिव की अर्चना करते समय शिवलिंग पर बेलपत्र और दूध अथवा पानी चढ़ाया जाता है. सामान्यत: बेलपत्र तीन पत्तों वाला होता है। पाँच पत्तों वाला बेलपत्र अधिक शुभ माना जाता है। पूजा की सामग्री में बेलपत्र और गंगाजल का समावेश होता है। ज्येष्ठा नक्षत्र युक्त जेठ के महीने की पूर्णिमा की रात्रि को 'बिल्वरात्र' व्रत किया जाता है। 🍃🌿🍃
बेल वृक्ष की महिमा 🍃🌿🍃
भगवान शिव की पूजा में बिल्व पत्र यानी बेल पत्र का विशेष महत्व है। महादेव एक बेलपत्र अर्पण करने से भी प्रसन्न हो जाते है, इसलिए तो उन्हें आशुतोष भी कहा जाता है। सामान्य तौर पर बेलपत्र में एक साथ तीन पत्तियां जुडी रहती हैं जिसे ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक माना जाता है।
वैसे तो बेलपत्र की महिमा का वर्णन कई पुराणों में मिलता है, लेकिन शिवपुराण में इसकी महिमा विस्तृत रूप में बतायी गयी है। शिव पुराण में कहा गया है कि बेलपत्र भगवान शिव का प्रतीक है। भगवान स्वयं इसकी महिमा स्वीकारते हैं। मान्यता है कि बेल वृक्ष की जड़ के पास शिवलिंग रखकर जो भक्त भगवान शिव की आराधना करते हैं, वे हमेशा सुखी रहते हैं। बेल वृक्ष की जड़ के निकट शिवलिंग पर जल अर्पित करने से उस व्यक्ति के परिवार पर कोई संकट नहीं आता और वह सपरिवार खुश और संतुष्ट रहता है। कहते हैं कि बेल वृक्ष के नीचे भगवान भोलेनाथ को खीर का भोग लगाने से परिवार में धन की कमी नहीं होती है और वह व्यक्ति कभी निर्धन नहीं होता है।
बेल वृक्ष की उत्पत्ति के संबंध में स्कंद पुराण में कहा गया है कि एक बार देवी पार्वती ने अपनी ललाट से पसीना पोछकर फेंका, जिसकी कुछ बूंदें मंदार पर्वत पर गिरीं, जिससे बेल वृक्ष उत्पन्न हुआ। इस वृक्ष की जड़ों में गिरिजा, तना में महेश्वरी, शाखाओं में दक्षयायनी, पत्तियों में पार्वती, फूलों में गौरी और फलों में कात्यायनी वास करती हैं। कहा जाता है कि बेल वृक्ष के कांटों में भी कई शक्तियां समाहित हैं। यह माना जाता है कि देवी महालक्ष्मी का भी बेलवृक्ष में वास है। जो व्यक्ति शिव-पार्वती की पूजा बेलपत्र अर्पित कर करते हैं, उन्हें महादेव और देवी पार्वती दोनों का आशीर्वाद मिलता है।
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Bilva Patra shares a very special relationship with Lord Shiva. Shiva is very fond of Bel Patra or the Bilva leaves. If a person prays to Shiva with a clear mind and offers a Belpatra to the Shivalinga, the Lord blesses them with whatever they desires. Hence, Belpatra is one of the most important ingredients which is used for the worship of Lord Shiva. Bilva leaves is from the wood apple tree. This leaf is trifoliate which signifies the holy Trinity: Brahma, Vishnu and Mahesh. It also signifies the three eyes of Shiva. Acc to Shiva MahaPurana, The bilva is the symbol of Lord Shiva. It is adored even by the gods. it is difficult to understand its greatness. According to the Skanda Purana, the Bel tree grew from the sweat droplets of Parvati which fell on the Mandrachal mountain. From there the Bel tree emerged. Hence, it is believed that the Goddess resides in this tree in all Her forms. She resides as Girija in the roots of the tree, as Maheshwari in its trunk, as Dakshayani in its branches, Parvati in its leaves, Katyayani in its fruit and as Gauri in its flowers. Therefore as Parvati resides in Her various forms in this tree, Shiva is extremely fond of its leaves.
Acc to Sri Bilva Shtakam, bel tree grew from the body of Maa Lakshmi. "Lakshmyaascha stana utpannam Mahaadeva sadaa priyam, Bilva vriksham prayachchhaami eka bilvam Shivaarpanam. Darshanam bilva vrikshasya sparshanam paapanaashanam, Aghorapaapasamhaaram eka bilvam shivarpanam." ~ Born from the breasts of Goddess Lakshmi, the Bilva tree is ever dear to Mahadeva. So I ask this tree to offer a Bilva leaf to Lord Shiva. To have darshan of the Bilva tree, and to touch it, frees one from sin. The most terrible karma is destroyed when a Bilva leaf is offered to Lord Shiva. The pale green leaves are aromatic. There are sadhus who sustain themselves on Bilva leaves alone. Every part of the bilva tree is useful, the root, bark, leaf, flowers and fruit –all have great medicinal value.! 🍃🌿🍃
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Namah Parvati Pataya Har Har Mahadev ~ Om Namah Shivaya! 🙏🏻❤️🙏🏻

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