सूर्य को हिन्दू पौराणिक कथा के अनुसार ब्रह्मांण की आत्मा माना गया है। ऐसे में माना जाता है कि रविवार को सूर्यदेव की पूजा से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। सूर्य को आदि पंचदेवों में से एक माना गया है, साथ ही कलयुग में एकमात्र दृश्य/प्रत्यक्ष देव भी ये ही हंै। इनकी उपासना से स्वास्थ्य,ज्ञान,सुख,पद,सफलता,प्रसिद्धि आदि की प्राप्ति होना माना गया है।
सूर्यदेव की पूजा में कुमकुम या लाल चंदन, लाल फूल, चावल, दीपक, तांबे की थाली, तांबे का लोटा आदि होना चाहिए। वहीं पूजन में आवाहन, आसन की जरुरत नहीं होती है। जानकारों के अनुसार कलयुग में सूर्य एकमात्र ऐसे देवता हैं जो प्रत्यक्ष ही दिखाई देते हैं। मान्यताओं के अनुसार उगते हुए सूर्य का पूजन उन्नतिकारक होता हैं। इस समय निकलने वाली सूर्य किरणों में सकारात्मक प्रभाव बहुत अधिक होता है। जो कि शरीर को भी स्वास्थ्य लाभ पंहुचाती हैं।
श्री सूर्यदेव की पूजन विधि ;
सूर्य पूजन के लिए तांबे की थाली और तांबे के लोटे का उपयोग करें। लाल चंदन और लाल फूल की व्यवस्था रखें। एक दीपक लें। लोटे में जल लेकर उसमें एक चुटकी लाल चंदन का पाउडर मिला लें। लोटे में लाल फूल भी डाल लें। थाली में दीपक और लोटा रख लें।
अब 'ऊँ सूर्याय नम: मंत्र' का जप करते हुए सूर्य को प्रणाम करें। लोटे से सूर्य देवता को जल चढ़ाएं। सूर्य मंत्र का जप करते रहें। इस प्रकार से सूर्य को जल चढ़ाना सूर्य को अर्घ प्रदान करना कहलाता है। 'ऊँ सूर्याय नम: अर्घं समर्पयामि' कहते हुए पूरा जल समर्पित कर दें। अर्घ समर्पित करते समय नजरें लोटे के जल की धारा की ओर रखें। जल की धारा में सूर्य का प्रतिबिम्ब एक बिन्दु के रूप में जल की धारा में दिखाई देगा। सूर्य को अर्घ समर्पित करते समय दोनों भुजाओं को इतना ऊपर उठाएं। कि जल की धारा में सूर्य का प्रतिबिंब दिखाई दे। सूर्य देव की आरती करें। सात प्रदक्षिणा करें व हाथ जोड़कर प्रणाम करें।
सूर्य उपासना से होती है रोग मुक्ति ;
भारत के सनातन धर्म में पांच देवों की आराधना का महत्व है। आदित्य (सूर्य), गणनाथ (गणेशजी), देवी (दुर्गा), रुद्र (शिव) और केशव (विष्णु)। इन पांचों देवों की पूजा सब कार्य में की जाती है। इनमें सूर्य ही ऐसे देव हैं जिनका दर्शन प्रत्यक्ष होता रहा है। सूर्य के बिना हमारा जीवन नहीं चल सकता। सूर्य की किरणों से शारीरिक व मानसिक रोगों से निवारण मिलता है। शास्त्रों में भी सूर्य की उपासना का उल्लेख मिलता है।
सूर्य की उपासना की प्रमुख बात यह है कि व्यक्ति को सूर्योदय से पूर्व उठ जाना चाहिए। इसके बाद स्नान आदि से निवृत्त होकर शुद्ध, स्वच्छ वस्त्र धारण कर ही सूर्यदेव को अघ्र्य देना चाहिए। माना जाता है कि सूर्य के सम्मुख खड़े होकर अघ्र्य देने से जल की धारा के अंतराल से सूर्य की किरणों का जो प्रभाव शरीर पर पड़ता है उससे शरीर में विद्यमान रोग के कीटाणु नष्ट हो जाते हैं और व्यक्ति के शरीर में ऊर्जा का संचार होने से सूर्य के तेज की रश्मियों से शक्ति आती है।
सूर्य को दिए जाने वाले अघ्र्य के प्रकार ;
अघ्र्य दो प्रकार से दिया जाता है। संभव हो तो जलाशय अथवा नदी के जल में खड़े होकर अंजली अथवा तांबे के पात्र में जल भरकर अपने मस्तिष्क से ऊपर ले जाकर स्वयं के सामने की ओर उगते हुए सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए। वहीं दूसरी विधि में अघ्र्य कहीं से भी दिया जा सकता है। नदी या जलाशय हो, यह आवश्यक नहीं है।
इसमें एक तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें चंदन, चावल तथा फूल (यदि लाल हो तो उत्तम है अन्यथा कोई भी रंग का फूल) लेकर प्रथम विधि में वर्णित प्रक्रिया के अनुसार अघ्र्य चढ़ाना चाहिए। चढ़ाया गया जल पैरों के नीचे न आए, इसके लिए तांबे अथवा कांसे की थाली रख लें। थाली में जो जल एकत्र हो, उसे माथे पर, हृदय पर और दोनों बाहों पर लगाएं। विशेष कष्ट होने पर सूर्य के सम्मुख बैठकर 'आदित्य हृदय स्तोत्र' या 'सूर्याष्टक' का पाठ करें। सूर्य के सम्मुख बैठना संभव न हो तो घर के अंदर ही पूर्व दिशा में मुख कर यह पाठ कर लें। इसके अलावा निरोग व्यक्ति भी सूर्य उपासना द्वारा रोगों के आक्रमण से बच सकता है।
भगवान सूर्यदेव के आसान मंत्र -
1. ऊॅं घृणिं सूय्र्य : आदित्य:
2. ऊॅं ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।।
3. ऊॅं ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:।
4. ऊॅं ह्रीं घृणि: सूर्य आदित्य: क्लीं ऊॅं ।
5. ऊॅं ह्रीं ह्रीं सूर्याय नम: ।
6. ऊॅं सूर्याय नम: ।
7. ऊॅं घृणि सूर्याय नम: ।
8. ॐ भास्कराय विद्महे, महातेजाय धीमहि तन्नो सूर्य: प्रचोदयात्।।
2. ऊॅं ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।।
3. ऊॅं ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:।
4. ऊॅं ह्रीं घृणि: सूर्य आदित्य: क्लीं ऊॅं ।
5. ऊॅं ह्रीं ह्रीं सूर्याय नम: ।
6. ऊॅं सूर्याय नम: ।
7. ऊॅं घृणि सूर्याय नम: ।
8. ॐ भास्कराय विद्महे, महातेजाय धीमहि तन्नो सूर्य: प्रचोदयात्।।
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SURYA BEEJ MANTRA
Om Hraam Hreem Hraum Sah Suryay Namah
Om Suryay Namah
Om Hraam Hreem Hraum Sah Suryay Namah
Om Suryay Namah
SURYA GAYATRI MANTRA -
Om Asva Dhvajaya Vidmahe Pasa Hastaya Dhimahi Tanno Suryah Prachodayaat”
Om Asva Dhvajaya Vidmahe Pasa Hastaya Dhimahi Tanno Suryah Prachodayaat”
Meaning: I learn about the Lord with horse flag and meditate on the one with a noose in his hands. Let Lord Surya illumine my intellect.
SURYA GAYATRI MANTRA - 2
Om Bhaskaraya Vidmahe Mahadyudikaraaya Dhimahi Tanno Aditya Prachodayaat”
Om Bhaskaraya Vidmahe Mahadyudikaraaya Dhimahi Tanno Aditya Prachodayaat”
Meaning: I learn about the one who is the source of light and meditate on the one who is so effulgent. Let Lord Aditya illumine my intellect.
SURYA GAYATRI MANTRA - 3
“Om Adityaya Vidmahe Sahasra Kiranaya Dhimahi Tanno Surya Prachodayaat”
Meaning: I learn about Lord Aditya and the meditate on the one with thousands of rays. Let Lord Surya illumine my intellect.
“Om Adityaya Vidmahe Sahasra Kiranaya Dhimahi Tanno Surya Prachodayaat”
Meaning: I learn about Lord Aditya and the meditate on the one with thousands of rays. Let Lord Surya illumine my intellect.
SURYA MANTRA FOR SUCCESS IN ALL ENDEAVOURS
Om Namo Shri Suryaaya Sahasra Kiranaaya
Siddhi Siddhi Karaaya Man Vanchit Puraaya
Kashtam Churaayaam Om Hreem Suryaaya Namo Namaha
Siddhi Siddhi Karaaya Man Vanchit Puraaya
Kashtam Churaayaam Om Hreem Suryaaya Namo Namaha
Blessed Day Divine Souls ☀️🕉🙏🏻🕉☀️
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