इस महाशिवरात्रि महादेव को प्रस्सन करने हेतु कुछ विशेष अनुष्ठान "
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पशूनां पतिं पापनाशं परेशं | गजेन्द्रस्य कृत्तिं वसानं वरेण्यम् ||
जटाजूटमध्ये स्फुरद्गाङ्गवारिं | महादेवमेकं स्मरामि स्मरारिम् ||
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पशूनां पतिं पापनाशं परेशं | गजेन्द्रस्य कृत्तिं वसानं वरेण्यम् ||
जटाजूटमध्ये स्फुरद्गाङ्गवारिं | महादेवमेकं स्मरामि स्मरारिम् ||
ऐंद्रिक सुविधाएं शारीरिक सुख प्रदान करती हैं, लेकिन अपने को 'स्व' के सुख में पहुंचाए बिना सभी सुख क्षणिक एवं निराधार हैं। अनुकूलता का सुख तुच्छ है, जबकि आत्मा का सुख परम शिव स्वरूप है। सौंदर्य से प्रेम करने पर एक दिन प्रीति ढल जाएगी, जिससे दोनों का अहित होगा। इसलिए स्वयं पर कृपा करते हुए परमात्मा से प्रेम ही श्रेयस्कर है। प़थ्वी, जल, तेज, वायु और आकाश का अर्घ्य आत्मशिव की प्रसन्नता के लिए करें तो सच्चिदानंद शिव का साक्षात्कार करने में सफलता मिल सकती है। जो मानव तटस्थ भाव से व्यवहार करता है, वह शिव की ही पूजा करता है। हिन्दू सनातन परम्परा में वर्ष भर में चार महारात्रि मानी गई हैं | जिन चार रात्रियो का विशेष उल्लेख मिलता है,वह है दीप पर्व दीपावली जिसे महारात्रि कहते है, शिवरात्रि कालरात्रि है, श्री कृष्ण जन्म अष्टमी मोहरात्रि है, और होली अहोरात्रि है | इनमें किया गया ध्यान, भजन, जप, तप अनंत गुना फलदायी होता है। कालरात्रि (महाशिवरात्रि) जीवन को धन्य बनाने वाली रात्रि है।
अभिषेक अनुष्ठान...
देवाधिदेव शिव का रुद्राभिषेक एक सकाम अनुष्ठान है | जिसमे यदि सम्पूर्ण नियम के साथ संकल्पित कार्य के लिए अभिषेक करे तो कार्य सिद्धि अवश्य होती है | भगवान शिव का अभिषेक अनेकों प्रकार से किया जाता है । भगवान शिव ने स्वयं शिव पुराण में वर्णित किया है के कुछ ऐसे विशेष पदार्थ है जिनसे उनका मंत्रोचारण के साथ अभिषेक करने से जातक, साधक के सभी एक्षित कार्य सिद्ध होते है |
देवाधिदेव शिव का रुद्राभिषेक एक सकाम अनुष्ठान है | जिसमे यदि सम्पूर्ण नियम के साथ संकल्पित कार्य के लिए अभिषेक करे तो कार्य सिद्धि अवश्य होती है | भगवान शिव का अभिषेक अनेकों प्रकार से किया जाता है । भगवान शिव ने स्वयं शिव पुराण में वर्णित किया है के कुछ ऐसे विशेष पदार्थ है जिनसे उनका मंत्रोचारण के साथ अभिषेक करने से जातक, साधक के सभी एक्षित कार्य सिद्ध होते है |
सर्व सुख प्राप्ति हेतु जलाभिषेक : जल से,
समृद्धि प्राप्ति हेतु दुग्धाभिषेक : दूध से,
रोग निवारण हेतु कुषा के जल से,
धन प्राप्ति हेतु मधु अथवा गन्ने के रस से,
शत्रु शांति हेतु सरसों के तेल से ( यह एक गंभीर प्रयोग है,योग्य वेदाचार्य के देख रेख में ही
करे,अन्यथा गंभीर परिणाम होंगे)
करे,अन्यथा गंभीर परिणाम होंगे)
शांति प्राप्ति हेतु घृत से,
पशु रक्षा हेतु दही से,
किसी की बुद्धि शुद्ध करने हेतु दूध,गंगा जल में शक्कर मिला कर अभिषेक करे,
कारोबार वृद्धि हेतु
महाशिवरात्रि के सिद्ध मुहर्त में पारद शिवलिंग को प्राण प्रतिष्ठित करवाकर स्थापित करने से
महाशिवरात्रि के सिद्ध मुहर्त में पारद शिवलिंग को प्राण प्रतिष्ठित करवाकर स्थापित करने से
व्यवसाय में वृद्धि व नौकरी में तरक्की मिलती है।
बाधा नाश हेतु
बाधा नाश हेतु
शिवरात्रि के प्रदोष काल में स्फटिक शिवलिंग को शुद्ध गंगा जल, दूध, दही, घी, शहद व शक्कर से स्नान करवाकर धूप-दीप जलाकर निम्न मंत्र का जाप करने से समस्त बाधाओं का शमन होता है।
॥ॐ तुत्पुरूषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रूद्र: प्रचोदयात्॥
॥ॐ तुत्पुरूषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रूद्र: प्रचोदयात्॥
गंभीर रोग से छुटकारे हेतु
शिव मंदिर में लिंग पूजन कर दस हज़ार मंत्रों का जाप करने से प्राण रक्षा होती है। महामृत्युंजय मंत्र का जाप रुद्राक्ष की माला पर करें।
शिव मंदिर में लिंग पूजन कर दस हज़ार मंत्रों का जाप करने से प्राण रक्षा होती है। महामृत्युंजय मंत्र का जाप रुद्राक्ष की माला पर करें।
शत्रु नाश हेतु
शिवरात्रि को रूद्राष्टक का पाठ यथासंभव करने से शत्रुओं से मुक्ति मिलती है। मुक़दमे में जीत व समस्त सुखों की प्राप्ति होती है।
शिवरात्रि को रूद्राष्टक का पाठ यथासंभव करने से शत्रुओं से मुक्ति मिलती है। मुक़दमे में जीत व समस्त सुखों की प्राप्ति होती है।
Om Namah Shivay
This to the prassan mahadev mahashivratri specific Rite "
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Pashunan patin papnashan pareshan | Gajendrasya krittin venison varenyam |
Jatajutmadhye sphuradganggavarin | Mahadevmekan smarami smararim |
Aindrik facilities provide physical comfort, but your "self" all the happiness without causing momentary pleasures and unfounded. Compatibility of happiness is trivial, while the soul is the ultimate pleasure of Shiva format. A day of beauty love Preeti dhal, so both will be ahit. So in love with the divine self is pleased to HM only. Pathvi, water, air and sky atmashiv to smile of arghya, sachchidanand Shiva to interview success. Which human neutral sense, that Shiva's worship. Hindus in the eternal tradition throughout the year are considered four maharatri | That special mention of four revert, he adds, that Diwali, shivratri Festival maharatri deep curatorial, Sri Krishna ashtami mohratri born, and Holly ahoratri | Were these, Psalms, chanting, who is infinite times in the background. Curatorial (mahashivratri) blessed life that night.
Abhishek rite ...
On devadhidev is a rudrabhishek sakam ritual of Shiva | That if the whole rules designed to work with task accomplishment must be consecrated. God Shiva anoint a number type. Lord Shiva in the Shiva purana itself has described some special substance which he anointed with mantrocharan to ekshit Jataka, seeker prove all work.
All jalabhishek for receiving pleasure: water,
Dugdhabhishek to achieve prosperity: milk,
Water from kusha to disease prevention,
Sugarcane juice or honey for riches,
Enemy to peace mustard oil (this is a serious experiment, see workaday worthy subjects only
There will be serious consequences, otherwise)
Prepare to achieve peace,
To protect the animal the curds,
An intelligence net in milk, to mix sugar water Ganga Abhishek,
To increase business
The vitality of mahashivratri muhart proved credible in installing prestigious shivling Quicksilver
Business growth and job promotion.
To destroy the barrier
Shivratri pradosh span of Ganga to purify water, Crystal shivling milk, yogurt, ghee, honey and sugar bath up sunshine lighting torches to chant the following mantra is mitigation of all barriers.
॥ Oṃ tutpurushay dhimhi mahadevay vidmahe tanno rudra: prachodyat ||
Serious disease to order
By worshipping Shiva temple in the penis to chant Mantras 60.1 Pran defense. Mahamrityunjaya mantra chant at rudraksh beads.
To destroy enemy
From the text of rudrashtak as shivratri from enemies. All the comforts of victory and in litigation.
Om Namah Shivay
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Pashunan patin papnashan pareshan | Gajendrasya krittin venison varenyam |
Jatajutmadhye sphuradganggavarin | Mahadevmekan smarami smararim |
Aindrik facilities provide physical comfort, but your "self" all the happiness without causing momentary pleasures and unfounded. Compatibility of happiness is trivial, while the soul is the ultimate pleasure of Shiva format. A day of beauty love Preeti dhal, so both will be ahit. So in love with the divine self is pleased to HM only. Pathvi, water, air and sky atmashiv to smile of arghya, sachchidanand Shiva to interview success. Which human neutral sense, that Shiva's worship. Hindus in the eternal tradition throughout the year are considered four maharatri | That special mention of four revert, he adds, that Diwali, shivratri Festival maharatri deep curatorial, Sri Krishna ashtami mohratri born, and Holly ahoratri | Were these, Psalms, chanting, who is infinite times in the background. Curatorial (mahashivratri) blessed life that night.
Abhishek rite ...
On devadhidev is a rudrabhishek sakam ritual of Shiva | That if the whole rules designed to work with task accomplishment must be consecrated. God Shiva anoint a number type. Lord Shiva in the Shiva purana itself has described some special substance which he anointed with mantrocharan to ekshit Jataka, seeker prove all work.
All jalabhishek for receiving pleasure: water,
Dugdhabhishek to achieve prosperity: milk,
Water from kusha to disease prevention,
Sugarcane juice or honey for riches,
Enemy to peace mustard oil (this is a serious experiment, see workaday worthy subjects only
There will be serious consequences, otherwise)
Prepare to achieve peace,
To protect the animal the curds,
An intelligence net in milk, to mix sugar water Ganga Abhishek,
To increase business
The vitality of mahashivratri muhart proved credible in installing prestigious shivling Quicksilver
Business growth and job promotion.
To destroy the barrier
Shivratri pradosh span of Ganga to purify water, Crystal shivling milk, yogurt, ghee, honey and sugar bath up sunshine lighting torches to chant the following mantra is mitigation of all barriers.
॥ Oṃ tutpurushay dhimhi mahadevay vidmahe tanno rudra: prachodyat ||
Serious disease to order
By worshipping Shiva temple in the penis to chant Mantras 60.1 Pran defense. Mahamrityunjaya mantra chant at rudraksh beads.
To destroy enemy
From the text of rudrashtak as shivratri from enemies. All the comforts of victory and in litigation.
Om Namah Shivay
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