चाणक्य नीति : चौथा अध्याय-1
निम्नलिखित बातें माता के गर्भ में ही निश्चित हो जाती है....
१. व्यक्ति कितने साल जियेगा
२. वह किस प्रकार का काम करेगा
३. उसके पास कितनी संपत्ति होगी
४. उसकी मृत्यु कब होगी .
These five: the life span, the type of work, wealth, learning and the time of one's death
are determined while one is in the womb.
are determined while one is in the womb.
पुत्र , मित्र, सगे सम्बन्धी साधुओं को देखकर दूर भागते है, लेकिन जो लोग साधुओं का अनुशरण करते है उनमे भक्ति जागृत होती है और उनके उस पुण्य से उनका सारा कुल धन्य हो जाता है .
Offspring, friends and relatives flee from a devotee of the Lord: yet those who follow him bring merit to their families through their devotion.
जैसे मछली दृष्टी से, कछुआ ध्यान देकर और पंछी स्पर्श करके अपने बच्चो को पालते है, वैसे ही संतजन पुरुषों की संगती मनुष्य का पालन पोषण करती है.
Fish, tortoises, and birds bring up their young by means of sight, attention and touch; so do saintly men afford protection to their associates by the same means.
जब आपका शरीर स्वस्थ है और आपके नियंत्रण में है उसी समय आत्मसाक्षात्कार का उपाय कर लेना चाहिए क्योंकि मृत्यु हो जाने के बाद कोई कुछ नहीं कर सकता है.
As long as your body is healthy and under control and death is distant, try to save your soul; when death is imminent what can you do?
विद्या अर्जन करना यह एक कामधेनु के समान है जो हर मौसम में अमृत प्रदान करती है. वह विदेश में माता के समान रक्षक अवं हितकारी होती है. इसीलिए विद्या को एक गुप्त धन कहा जाता है.
Learning is like a cow of desire. It, like her, yields in all seasons. Like a mother, it feeds you on your journey. Therefore learning is a hidden treasure.
सैकड़ों गुणरहित पुत्रों से अच्छा एक गुणी पुत्र है क्योंकि एक चन्द्रमा ही रात्रि के अन्धकार को भगाता है, असंख्य तारे यह काम नहीं करते.
A single son endowed with good qualities is far better than a hundred devoid of them. For the moon, though one, dispels the darkness, which the stars, though numerous, cannot.
Om Namah Shivay
No comments:
Post a Comment