Wednesday, 2 October 2013

Recognize that no one can take away your rights - that is freedom.

Photo: एक बार एक त्यागी संत भिक्षा मांगते हुए एक सेठ के घर पहुचे , संत की सारगर्भित बाते सुनकर सेठ बड़ा प्रभावित हुआ , तथा मन में कुछ पाने की लालसा रखकर उसने संत को प्रणाम किया , परन्तु संत उसके मन की बात समझ गए , अतः उन्होंने भी पलटकर सेठ को प्रणाम किया , तब सेठ ने आश्चर्य से पूछा - आपने मुझे क्यों प्रणाम किया ?

तब संत ने भी यही प्रश्न दोहराया , तो सेठ ने कहा की आप तो बड़े त्यागी है , आपने तो स्त्री , पुत्र , धन , जमीन-जायदाद  आदि सभी का त्याग कर दिया है , तब संत ने बड़े शांत चिर्त हो कर कहा- अच्छा तुम ही मुझे एक बात बताओ-
" भगवान् बड़ा है या रुपया-पैसा " ? तब सेठ ने कहा - माहात्मन नि-संदेह इन सबसे बड़े तो भगवान् ही है, तब संत ने कहा की इसीलिए तो तुम बड़े त्यागी हुए , जो बड़ा त्याग करे वह बड़ा त्यागी , जो छोटा त्याग करे वह छोटा त्यागी , एव तुम तो बड़े त्यागी हो, क्योकि जिसने संसार के सुखो के लिए भगवान् तक का त्याग कर रखा है , यह सुनकर सेठ संत के चरणों में गिर पड़ा .......

Om Namah Shivay

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People take pride in fighting for their rights. This is an ignorant pride. Asserting your rights makes you isolated and poor. Courageous people give away their rights. The degree to which you can give away your rights indicates your freedom, your strength. Only those who have rights can give them away! Demanding does not really bring rights to you and giving does not really take them away. Recognize that no one can take away your rights - that is freedom.

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Observe the intention, and put your attention on whatever you want to grow in life. Intention, attention and manifestation -- that is how the universe manifests.

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"Sometimes you need to talk to a two year old just so you can understand life again."

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“If you’re looking for a happy ending and can’t seem to find one, maybe it’s time you start looking for a new beginning instead.”

Om Namah Shivay

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