Sunday, 4 June 2017

Ganga Dussehra falls during Dashami Tithi of Jyeshtha Shukla Paksha and currently falls in month of May or June.

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वामन पुराण में उल्लेख किया गया है कि ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी को हस्त नक्षत्र में मां गंगा का धरती पर अवतरण हुआ था। इसी दिन भागीरथ उन्हें धरती पर लाए थे और इस दिन को गंगा दशहरा के नाम से जाना जाने लगा। इस दिन लोग गंगा जी में नहाते है और दान पुण्य करते हैं। गंगा दशहरा सर्वार्थ सिद्घि और अमृत सिद्घि योग के साथ मनाया जाएगा।
पुराणों में बताया गया है कि गंगा स्नान किसी भी दिन और समय में किया जाए तो यह शुभ फल ही देता है लेकिन कुछ तिथि और मुहूर्त ऐसे हैं जिनमें गंगा स्नान का पुण्य कई गुणा मिलता है। कार्तिक पूर्णिमा, मकर संक्रांति, गंगा जयंती, माघ पूर्णिमा एवं गंगा दशहरा ऐसी ही शुभ तिथियां हैं लेकिन इनमें भी ज्येष्ठ शुक्ल दशमी यानी गंगा दशहरा का अपना खास महत्व है।
स्कंद पुराण में बताया गया है कि गंगा जी का मंत्र -'ॐ नमो भगवति हिलि हिलि मिलि मिलि गंगे माँ पावय पावय स्वाहा।' का जप करते हुए गंगा को अर्घ्य देने से मनुष्य के पापों का क्षय होता है।
~~ इसका अर्थ है कि, हे भगवति गंगे! मुझे बार-बार मिल, पवित्र कर, पवित्र कर, इससे गंगाजी के लिए पंचोपचार और पुष्पांजलि समर्पण करें। विष्णुरूपिणी के लिए और तुझ ब्रह्म मूर्ति के लिए बारंबार नमस्कार है।। 1।। तुझ रुद्ररूपिणी के लिए और शांकरी के लिए बारंबार नमस्कार है, भेषज मूर्ति सब देव स्वरूपिणी तेरे लिए नमस्कार है।। 2।।
संसाररूपी विष के नाश करने वाली एवं संतप्तों को जिलाने वाली तुझ गंगा के लिए नमस्कार ; तीनों तापों को मिटाने वाली प्राणेशी तुझ गंगा को नमस्कार।। 4।। मूर्ति तुझ गंगा के लिए नमस्कार, सबकी संशुद्धि करने वाली पापों को बैरी के समान नष्ट करने वाली तुझ...।। 5।। भुक्ति, मुक्ति, भद्र, भोग और उपभोगों को देने वाली भोगवती तुझ गंगा को।। 6।। तुझ मंदाकिनी के लिए देवे वाली के लिए बारंबार नमस्कार, तीनों लोकों की भूषण स्वरूपा तेरे लिए एवं तीन पंथों से जाने वाली के लिए बार-बार नमस्कार।
जिन लोगों के लिए गंगा तट पर जा सकना किसी कारण से संभव नहीं है वह नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर लेते हैं। नहाते समय गंगा के मंत्र या स्तोत्र का पाठ शुभ फलदायी होता है। ऐसी मान्यता है कि गंगा दशहरा के दिन गंगा तट पर मुंडन करवाना बहुत ही शुभ रहता है। इससे जहां पुण्य की प्राप्ति होती है वहीं आयु भी बढ़ती हैं। माना जाता है कि इससे बालों से संबंधित परेशानियां भी दूर होती है।
गंगा दशहरा पर गंगा स्नान करने से बहुत से लाभ मिलते हैं।ऐसी मान्यता है कि गंगा दशहरा के दिन शुभ मुहूर्त में गंगा स्नान करने से पूर्व कर्मों के पापों का शमन होता है। साथ ही काम, क्रोध, मद, मोह, लोभ, राग, द्वेष, निंदा और शंका के कारण जो दोष लगता है उनसे भी मुक्ति मिलती है।
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Ganga Dussehra falls during Dashami Tithi of Jyeshtha Shukla Paksha and currently falls in month of May or June. Ganga Dussehra is also known as Gangavataran which means 'the descent of the Ganga'.
Usually Ganga Dusshra is celebrated one day before Nirjala Ekadashi but in some years Ganga Dussehra and Nirjala Ekadashi might fall on the same day.
Ganga Dussehra is dedicated to Goddess Ganga and this day is commemorated as the day when Ganga was descended to the Earth to accomplish her mission to purge the cursed souls of Bhagiratha's ancestors. Before coming to the Earth, the Goddess Ganga was residing in Kamandal of Lord Brahma and along with her the Goddess Ganga brought the purity of heaven to the Earth.
On Ganga Dussehra devotees worship Goddess Ganga and take bath in Ganges. Taking bath in Ganges and offering charity or Dan-Punya (दान-पुण्य) on Ganga Dussehra day is considered highly auspicious. It is believed that holy dip in Ganges on Ganga Dussehra day can purge all type of sins.
Devotees flock to Allahabad/Prayag, Garhmukteshwar, Haridwar, Rishikesh and Varanasi to take a holy dip. Ganga Dussehra celebrations are legendary in Varanasi. On Ganga Dussehra day thousands of devotees take dip in Ganges and participate in Ganga Aarti at Dasaswamedh Ghat.
The river Ganga holds a uniquely significant place in Indian life and consciousness. It rises at Gangotri, high in the snow-clad Himalayas. Cascading down mighty boulders, it flows into the hot plains of Uttar Pradesh, Bihar and finally meets the waters of the sea in the Bay of Bengal. At Allahabad, the Ganga merges with the river Yamuna and the mythical river Saraswati. The confluence of these rivers, known as Prayag, is considered one of the most sacred spots on earth.
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