Wednesday 25 June 2014

I know that what I am doing is wrong, yet I can’t stop myself! Why?

Photo: देवी-देवताओं का पूजन हिंदू धर्म का अभिन्न अंग है। पूजन के अभाव में हिंदू धर्म की कल्पना भी नहीं की जा सकती। हिंदू धर्म को मानने वाला प्रत्येक व्यक्ति प्रतिदिन किसी न किसी रूप में भगवान का स्मरण अवश्य करता है। हिंदू धर्म ग्रंथों में पूजन से संबंधित बहुत से नियम बताए गए हैं, लेकिन जानकारी के अभाव में बहुत से लोग इन नियमों के बारे में नहीं जानते। आज हम आपको देवी-देवताओं के पूजन से जुड़ी कुछ ऐसी ही नियमों के बारे में  बता रहे हैं-
 
1- सूर्य, गणेश, दुर्गा, शिव और विष्णु को पंचदेव कहा गया है। सुख की इच्छा रखने वाले हर मनुष्य को प्रतिदिन इन पांचों देवों की पूजा अवश्य करनी चाहिए। किसी भी शुभ कार्य से पहले भी इनकी पूजा अनिवार्य है।
 
2- शिवजी की पूजा में कभी भी केतकी के फूलों का उपयोग नहीं करना चाहिए। सूर्यदेव की पूजा में अगस्त्य के फूल वर्जित हैं। भगवान श्रीगणेश को तुलसी के पत्ते नहीं चढ़ाने चाहिए। 

3- सुबह स्नान करने के बाद जो मनुष्य स्वच्छ फूल तोड़ कर देवताओं को अर्पित करता है, उसे देवगण प्रसन्नतापूर्वक स्वीकार करते हैं। वायुपुराण के अनुसार जो भी व्यक्ति बिना स्नान किए तुलसी के पत्ते तोड़ता है व देवताओं को अर्पित करता है, ऐसी पूजा को देवता ग्रहण नहीं करते।
 
4- देवताओं के पूजन में अनामिका अंगुली से गंध लगाने का विधान हमारे शास्त्रों में वर्णित है। देवताओं की पूजा के लिए घी का दीपक अपनी बाईं ओर तथा तेल का दीपक अपनी दाईं ओर रखना चाहिए।
 
5- तंत्र शास्त्र के अनुसार पूजन में देवताओं को धूप, दीप अवश्य दिखाना चाहिए तथा नेवैद्य (भोग) भी जरुर होना चाहिए। देवताओं के लिए जलाए गए दीपक को स्वयं कभी नहीं बुझाना चाहिए।

6- पूजन में बासी जल, फूल और पत्तों का त्याग करना चाहिए। किंतु शास्त्रों के मतानुसार गंगाजल, तुलसीपत्र, बिल्वपत्र और कमल ये किसी भी अवस्था में बासी नहीं होते।
 
7- लिंगार्चन चंद्रिका के अनुसार भगवान सूर्य की सात, श्रीगणेश की तीन, विष्णु की चार और शिव की तीन परिक्रमा करनी चाहिए। कुछ ग्रंथों के अनुसार भगवान शिव की आधी परिक्रमा करने का ही निर्देश है।
 
8- विष्णु को प्रसन्न करने के लिए पीले रंग का रेशमी वस्त्र अर्पित करना चाहिए तथा शक्ति और सूर्य तथा गणेश को प्रसन्न करने के लिए लाल रंग के वस्त्र अर्पित करना चाहिए। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए सफेद वस्त्र अर्पित करने का विधान है।

9- भगवान शिव को हल्दी नहीं चढ़ाना चाहिए और न ही शंख से जल चढ़ाना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार ये दोनों कर्म शिव पूजा में निषेध हैं। पूजन में एक बात का विशेष ध्यान रखें कि पूजन स्थल की सफाई प्रतिदिन करें। पूजन स्थल पर कचरा इत्यादि न जमा हो पाए। 
 
10- पूजन स्थल के ऊपर कोई कबाड़ या वजनी चीज न रखें। पूजन स्थल पर पवित्रता का ध्यान रखें जैसे- चप्पल पहनकर कोई स्थापना स्थल तक न जाए, चमड़े का बेल्ट या पर्स रखकर कोई पूजा न करें आदि।
 
11- शिवमहापुराण के अनुसार श्रीगणेश को जो दूर्वा चढ़ाई जाती है, वह जडऱहित, बारह अंगुल लंबी और तीन गांठों वाली होना चाहिए। ऐसी 101 या 121 दूर्वा से श्रीगणेश की पूजा करना चाहिए।

Om Namah Shivay

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Desires linger in your mind when you do not have faith. When you are thirsty then only the desire for water arises, but what will happen if you sit and think about water all day? Do you understand what I am saying? What does desire mean? A lack of faith that I am going to get what I need. So with satsang, sadhana and seva, our faith becomes very strong and all work gets done like it’s getting done in your lives right now.

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Q. I know that what I am doing is wrong, yet I can’t stop myself! Why?



Guruji : This is because there is an iota of hope that you will find happiness in it. But when you will experience a greater happiness in meditation, then, you will automatically give it up. That is why you should do pranayama and meditation. Millions of people have got rid of their bad habits by doing this. Don’t worry, okay!

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Q. When is war justifiable?

Guruji : When all options of bringing peace and justice has failed, then war becomes the last option. When every negotiation fails and when (righteous) sense does not prevail; when disaster in unavoidable, then war becomes necessary to avoid a greater disaster from happening.

It also becomes necessary to keep in check those forces that can bring injustice and devastation.

Om Namah Shivay

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