Saturday 24 August 2013

If Eyes are Shiva, Vision is Sakthi, If......................................

Photo: वेदों में साम्ब सदाशिव को "रुद्र" नाम से पुकारा गया है। शिवजी को रुद्र इसलिए कहा जाता है, क्योंकि ये रुत अर्थात दुख को दूर कर देते हैं। जो दैहिक, दैविक और भौतिक दुखों का नाश करते हैं, वे रुद्र हैं। इसीलिए उन्होंने त्रिशूल धारण किया है।

* "रुद्रहृदयोपनिषद" कहता है..."सर्वदेवात्मको रुद्र:" अर्थात रुद्र सर्वदेवमय हैं...

* अथर्व शिखोपनिषद भी इसका समर्थन करता है..."रुद्रो वै सर्वा देवता:" अर्थात रुद्र समस्त देवताओं का स्वरूप हैं।

* यजुर्वेद के रुद्राध्याय में रुद्रोपासना का विधान मिलता है। इसमें रुद्र शब्द के सौ पर्यायवाची नामों का उल्लेख होने से इसे "शतरुद्री" भी कहते हैं। माना जाता है कि शतरुद्री के माहात्म्य का उपदेश महर्षि याज्ञवल्क्य ने राजा जनक को दिया था।

* श्वेताश्वतरोपनिषदके अनुसार... महाप्रलय के समय एकमात्र रुद्र ही विद्यमान रहते हैं।

श्रुतियों से यह तथ्य विदित होता है कि रुद्र ही परमपुरुष यानी आदिदेव साकार बहमा हैं, जिनके द्वारा ही सृष्टि की रचना, पालन और संहार होता है। ब्रहमा, विष्णु और महेश इनकी त्रिमूर्ति हैं।

रुद्र का परिचय शास्त्रों में इस प्रकार भी दिया गया है...

अशुभं द्रावयन् रुद्रो यज्जाहार पुनर्भवम् ।
तत: स्मृताभिधो रुद्रशब्देनात्राभिधीयते ।।

अर्थात जो प्राणी जीवनकाल में सब अनिष्टों को दूर करते हैं और शरीर त्यागने पर मुक्ति प्रदान करते हैं, वे सदाशिव रुद्र के नाम से जाने जाते हैं। इसी कारण दुखों-कष्टों से मुक्ति तथा सद्गति प्राप्त करने के उद्देश्य से मनुष्य रुद्रोपासना करता आया है।

रुद्र को "अभिषेकप्रिय: रुद्र:" कहा गया है, यानी उन्हें अभिषेक पसंद है। 

इसीलिए सावन के महीने में रुद्र का अभिषेक किया जाता है। सामान्यत: लोग जल द्वारा अभिषेक करते हैं, तो सामर्थ्यवान दूध, दही, शहद आदि विभिन्न द्रव्यों से उनका अभिषेक करते हैं। मान्यता है कि श्रावण मास में भगवान शिव ने समुद्र मंथन से उत्पन्न विष को जनकल्याण के लिए पिया था, तब इंद्र ने शीतलता देने के लिए वर्षा की थी, इसी कारण श्रावण मास में शिव जी को जल अर्पित करने की परंपरा शुरू हुइ।

भगवान शंकर की शक्ति 'पार्वती' पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं। हमने पर्वतीय क्षेत्र को जो क्षति पहुंचाई है, उसके विनाशकारी परिणाम दिखाई देते हैं। इसलिए हमें हिमालय की पवित्रता बनाए रखने का संकल्प इस सावन में लेना चाहिए, तभी शिवार्चन सफल हो सकेगा और शिव हमेशा कल्याणकारी होंगे।

Om Namah Shivay.

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If Eyes are Shiva, Vision is Sakthi, यदि नेत्र शिव हैं तो दृष्टि शक्ति है.

If Ears are Shiva, Hearing is Sakthi, यदि कर्ण शिव हैं तो श्रवन शक्ति है.

If Mouth is Shiva, Speech is Sakthi, यदि मुख शिव है तो उच्चारण शक्ति है.

If Tongue is Shiva, Taste is Sakthi, यदि जिव्हां शिव है तो स्वाद शक्ति है.

If Skin is Shiva, Perception is Sakthi, यदि त्वचा शिव है तो स्पर्श शक्ति है.

If Heart is Shiva, Heartbeat is Sakthi, यदि हृदय शिव है तो धडकन शक्ति है.

Om Namah Shivay.

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