Thursday, 25 April 2013

LIGHT


Photo: अपने आत्मा के समान सब जगह सुख-दुःख को समान देखना तथा सब जगह आत्मा को परमेश्वर में एकीभाव से प्रत्यक्ष की भाँती देखना बहुत ऊचा ज्ञान है | चिंतनमात्र का अभाव करते-करते अभाव करने वाली वृति भी शान्त हो जाय, कोई भी स्फुरणा शेष न रहे तथा एक अर्थमात्र वस्तु ही शेष रह जाये, यह समाधी का लक्षण है |

श्री नारायण देव के प्रेम में ऐसी निमंग्नता हो की शरीर और संसार की सुधि ही न रहे, यह बहुत उच्ची भक्ति है |

नेति-नेति के अभ्यास से ‘नेति-नेति’

रूप निषेध करने वाले संस्कार का भी शान्त आत्मा में या परमात्मा में शान्त हो जाने के समान ध्यान की उच्ची स्थिति और क्या होगी?

परमेश्वर का हर समय स्मरण न करना और उसका गुणानुवाद सुनने के समय न मिलना बहुत बड़े शोक का विषय है | मनुष्य में न दोष देखकर उससे घ्रणा या द्वेष नहीं करना चाहिये | घ्रणा या द्वेष करना हो तो मनुष्य के अन्दर रहने वाले दोषविकारो से करना चाहिये | जैसे किसी मनुष्य को प्लेग हो जाने पर उसके घरवाले प्लेग के भय से उसके पास जाना नहीं चाहते, परन्तु उसको प्लेग की बीमारी से बचाना अवश्य चाहते है, इसलिये अपने को बचाते हुए यथासाध्य चेष्टा पूरी तरह से करते है, क्योकि वह उनका प्यारा है | इसी प्रकार जिस मनुष्य में चोरी,जारी आदि दोष रुपी रोग हो, उसको अपना प्यारा बन्धु समझ कर उसके साथ घ्रणा या द्वेष न करके उसके रोग से बचते हुए उसे रोगमुक्त करने की चेष्टा करनी चाहिये |

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LIGHT : 

All sacred and religious symbols are made of light. All gods are made of light. Each and every religion is proud to claim that its god is made of pure light. Without light, religions would be mere skeletons and not vehicles of divinity.

Light understands light, but darkness does not understand darkness. The true vehicles of light are imagination, creativity and love. We all possess them. But they are so often hidden. We must release them. You must open yourself to light! Caress your photons. Embrace the living miracles of light. Shout out loud and often: ‘O, Light how much I love you!’ Be crazy about light. Because only then you will become a liberated being.

Om Namah Shivay. 


source : FB

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