Tuesday 19 May 2015

Share your Joy


Share your Joy
By sharing your misery, it doesn't reduce. By not sharing your joy, it reduces. Share your problems only with the Divine, not with Tom, Dick, or Harry - that just increases the problem. Share your joy with everybody.
Darren: How do you help people who share their misery with you?.
Guruji: I have a thousand and one ways. Often it happens that when they share their problem with me, it is immediately resolved. Other times it requires some patience. Just know that all will be taken care of.
Mary: How do we help people who share their misery with us?
Guruji: Listen to others, yet don't listen. Because if your mind gets stuck there, not only are they miserable, you also get miserable.
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सत्संग और महात्माओं का प्रभाव -४–
कवि की उक्ति है-
पारस में अरु सन्त में, बहुत अंतरा जान ।
वह लोहा सोना करे, यह कर आपु समान ।।
पारस और सन्त में बहुत भेद है, पारस लोहे को सोना बना सकता है; परन्तु पारस नही बना सकता । लेकिन सन्त-महात्मा पुरुष तो सँग करने वाले को अपने समान ही सन्त-महात्मा बना देते है । इसलिये महात्माओं के सँग के समान इस संसार में और कोई भी लाभ नही है । परम दुर्लभ परमात्मा की प्राप्ति महात्मा के सँग से अनायास ही हो जाती है । उच्चकोटि के अधिकारी महात्मा पुरुषों के तो दर्शन, भाषण, स्पर्श और वार्तालाप से भी पापों का नाश होकर मनुष्य परमात्मा की प्राप्ति का पात्र बन जाता है ।
साधारण लाभ तो सँग करनेवाले मात्र को समान भाव से होता ही है, चाहे उसे महात्मा का ज्ञान हो या न हो । महात्मा का महत्व जान लेने पर उनमे श्रद्धा होकर विशेष ज्ञान हो सकता है । जैसे किसी कमरे में ढकी हुई अग्नि पड़ी है और उसका किसी को ज्ञान नही है, तब भी अग्नि से कमरे में गर्मी आ गयी है और शीत निवारण हो रहा है-यह सहज लाभ तो, वहाँ जो लोग है उनको, बिना जाने भी मिल रहा है । पर जब अग्नि का ज्ञान हो जाता है, तब तो मनुष्य उस अग्नि से भोजन बनाकर खा सकते है और दीपक जलाकर उसके प्रकाश से लाभ उठा सकता है ।
Om Namah Shivay

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